संकटनाशन गणेश स्तोत्र एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन के विघ्नों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। यह स्तोत्र हिंदी में भी उपलब्ध है और इसका अर्थ भी हिंदी में समझाया गया है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये॥
अर्थ: मैं सिर झुका कर देव गौरीपुत्र विनायक (भगवान गणेश) को प्रणाम करता हूं। वह भक्तों का निवास स्थान है, जिसे मैं नित्य स्मरण करता हूं, आयु, काम और अर्थ की सिद्धि के लिए।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥
अर्थ: प्रथम वक्रतुण्ड (टेढ़े हुए सूंड़ वाले), द्वितीय एकदन्त (एक दांत वाले), तृतीय कृष्णपिंगाक्ष (काले और भूरे रंग की आँखों वाले), और चतुर्थ गजवक्त्र (हाथी के मुख वाले)।
लंबोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥
अर्थ: पंचम लम्बोदर (लंबी नाभि वाले), षष्ठ विकट (भीषण), सप्तम विघ्नराजेंद्र (विघ्न के राजा), और अष्टम धूम्रवर्ण (धूम वाले)।
नवमं भालचंद्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥
अर्थ: नवम भालचंद्र (माथे पर चंद्रमा वाले), दशम विनायक (विघ्न हरने वाले), एकादश गणपति (गणपति), और द्वादश गजानन (हाथी के मुख वाले)।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो॥
अर्थ: इन बारह नामों को जो व्यक्ति तीनों संध्याओं में (प्रातः, दोपहर और संध्या) में पढ़ता है, उसके लिए कोई विघ्न या भय नहीं होता है। वह सर्व सिद्धि का कारक होता है।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥
अर्थ: जो विद्यार्थी विद्या चाहता है, वह विद्या प्राप्त करता है। जो धन चाहता है, वह धन प्राप्त करता है। जो पुत्र चाहता है, वह पुत्र प्राप्त करता है, और जो मोक्ष चाहता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है।
जपेत् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलम् लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥
अर्थ: जो गणपति स्तोत्र का छह महीने तक जप करता है, उसे फल प्राप्त होता है, और एक वर्ष तक जप करने पर सिद्धि प्राप्त होती है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:॥
अर्थ: जो इस स्तोत्र को आठ ब्राह्मणों को लिखकर दान करता है, उसे गणेश जी की कृपा से सर्व विद्या प्राप्त होती है।
इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम्।
अर्थ: इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम्।
यह स्तोत्र विघ्नों को दूर करने और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
श्री गणेश को समर्पित संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नियमित पाठ से बड़े से बड़े संकट और कष्ट भी दूर हो जाते हैं। आज के इस पोस्ट में हम नारद पुराण में वर्णित संकटनाशन गणेश स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित जानेगें।
अगर आपके जीवन से कष्ट, दुःख और संकट दूर नहीं हो रहे हों तो भगवान् श्री गणेश को समर्पित संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करें।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि जब एक बार नारद मुनि घनघोर संकट में फँस गए थें तब भगवान् शिव के निर्देशानुसार महर्षि नारद ने संकटनाशन गणेश स्तोत्र की थी। तत्पश्चात श्री गणेश ने उनके समस्त संकटों को हर लिया था।
यह स्तोत्र मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया है जिसे अत्यंत सरलता से पढ़ा और याद किया जा सकता है। तो चलिए संकटों का नाश कर भाग्य का उदय करने वाले इस स्तोत्र का पाठ संस्कृत में प्रारंभ करते हैं।
अगर आप नारद पुराण से लिए गए इस संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ उसके अर्थ को समझते हुए करते हैं तो इसकी शक्ति और भी बढ़ जाती है। और यदि आप संस्कृत भाषा में इस स्तोत्र का पाठ नहीं कर पा रहे हों तो उस स्थिति में भी आप इसके हिंदी अर्थ का पाठ कर इसके समस्त लाभों को प्राप्त कर सकते हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के लाभ
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के माध्यम से स्वयं महर्षि नारद ने इससे मिलने वाले लाभों के बारे में बताया है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से विद्यार्थियों को विद्या, ज्ञान पिपासियों को ज्ञान, धन-सम्पदा की इच्छा रखने वाले को धन, संतान की इच्छा रखने वाले को संतान तथा मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
ऐसी कोई भी मनोकामना और सिद्धि नहीं है जिसे संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ से नहीं पाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ से मिलने वाले कुछ विशेष लाभों के बारे में।
संकटों से मिलती है मुक्ति
भगवान् श्री गणेश को विघ्नहर्ता तथा विघ्नविनाशक भी कहा जाता है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नित्य पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विभिन्न प्रकार के संकट और विघ्न बाधाएँ दूर हो जाती हैं और बिगड़े काम भी बनने शुरू हो जाते हैं।
धन-संपत्ति में होती है वृद्धि
इस स्तोत्र के नित्य पाठ से साधक के जीवन में सफलता, उन्नति और खुशहाली आती है फलस्वरूप व्यक्ति को धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
विद्या की होती है प्राप्ति
सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश को विद्या और बुद्धि के देवता माना गया है। संकटनाशन गणेश स्तोत्र का नित्य पाठ करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा उसके ज्ञान, विद्या, और मानसिक क्षमता में वृद्धि होने लगती है।
पुत्र सुख की होती है प्राप्ति
अगर आप पुत्र का सुख पाना चाहते हैं तो संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना शुरू कर दें। भगवान् श्री गणेश की कृपा से पुत्र की प्राप्ति शीघ्र हीं हो जाती है।
मिलती है सिद्धियां
संकटनाशन गणेश स्तोत्र के नित्य पाठ से जातक के सभी इच्छित फल की प्राप्ति हो जाती है तथा लगातार एक वर्ष तक भगवान् श्री गणेश के इस स्तोत्र के पाठ से पूर्ण सिद्धि की भी प्राप्ति होती है।
रोग होते हैं नष्ट
इस स्तोत्र के पाठ से मनुष्य को आरोग्य की प्राप्ति होती है। तथा उसके सारे रोग, भय और चिंता समाप्त हो जाते है।
मोक्ष की होती है प्राप्ति
भगवान् श्री गणेश को समर्पित इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति को सांसारिक सुख तो मिलता हीं है साथ हीं साथ मोक्ष को उत्सुक साधकों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जाप कैसे करे?
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का शीघ्र लाभ प्राप्त करने के लिए आपको कुछ निर्देशों का पालन जरूर करना चाहिए। इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुबह सुबह करना सर्वोत्तम माना गया है।
परन्तु यदि आप ऐसा करने में समर्थ नहीं हैं तो प्रत्येक बुधवार या चतुर्थी तिथि को इसका पाठ अवश्य करें। किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए सबसे पहले संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ का संकल्प लें। तदुपरांत कम से कम 30 दिनों तक इसका पाठ करना जरुरी होता है।
तो चलिए अब हम जानते हैं कि संकटनाशन गणेश स्तोत्र के पाठ के नियम क्या हैं।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जाप के नियम
सबसे पहले प्रातः काल जाग कर स्नानादि से निवृत हो स्वक्ष वस्त्र धारण करें।
स्तोत्र के पाठ के शांतपूर्ण वातावरण का चुनाव करें।
अब कुश अथवा कपडे के आसन पर पूर्व दिशा की तरफ मुँह करके बैठ जाएँ।
तत्पश्चात, भगवान् श्री गणेश के चित्र अथवा प्रतिमा को अपने सामने स्थापित करें।
श्री गणेश के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
श्री गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें दूर्वा, अक्षत, पुष्प तथा भोग समर्पित करें।
अब आप संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ अपनी सुविधा अनुसार 1/3/5/7/11/21 बार करें।
इस स्तोत्र का पाठ उच्च स्वर में शुद्ध उच्चारण के साथ करें।
अपनी किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन 30 दिनों तक करें।
“संकटनाशन गणेश स्तोत्र” का नित्य पाठ भगवान श्री गणेश की कृपा पाने का एक अत्यंत सरल तथा प्रभावी तरीका है। इसके नियमित पाठ से साधक के जीवन की सभी बाधाओं का अंत होता है, और वो सफलता, समृद्धि, स्वास्थ्य, और शांति को प्राप्त करता है।